‘जमाना बदल गया है।‘ हमारे रोजमर्रा का अनुभव अक्सर हमें यह मानने के लिए मजबूर करता है और अपनी सनक में हम अतीत की कुछ बेहतरीन छवियों को एक उदास याद की तरह भूलने लगते हैं, लेकिन तभी कोई एक तस्वीर या वाकया हमें जिंदा उम्मीदों से भर देता है। हालांकि, कभी-कभी ही ऐसा हो पाता है जब ‘खत्म’ मान ली गई जमाने की कोई पुरानी आदत हमारी आंखों के सामने हरकत में नजर आती है।
इन दिनों यह बात बार-बार कही जाती है कि लोगों ने पढ़ना छोड़ दिया है और अच्छे साहित्य के पाठक तो इस बड़ी होती जाती दुनिया में सिकुड़ते देश के बस गिने-चुने वाशिंदे हैं। लेकिन, मध्यपूर्वी देश ईरान की एक तस्वीर ने न सिर्फ इस मान्यता को ध्वस्त किया है, बल्कि हमारी जिज्ञासा की हड्डियों में पानी की एक प्रेरक धार पैदा की है।
Published: 16 Feb 2018, 5:42 PM IST
ईरान के लोकप्रिय लेखक रजा अमीरखानी के ताजा उपन्यास ‘रे ही शीन’ की प्रति खरीदने के लिए राजधानी तेहरान की सड़कों पर लोगों की लंबी कतारें लगी थीं। शहरी जीवन को आधार बनाकर लिखे गए इस उपन्यास के केंद्र में एक दंपति है और शहरी विकास के उन पर पड़ने वाले असर को कहानी परत दर परत खोलती है। अमीरखानी की इससे पहले तकरीबन 11 किताबें आ चुकी हैं, जिनमें कई उपन्यास और कहानियों की किताबें शामिल हैं। ‘हिज ईगो’ और ‘होमलैंडलेस’ जैसे उनके बेहद चर्चित उपन्यासों का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। अमीरखानी का लेखन आमतौर पर शहरी परिवेश के अंतर्विरोधों का वृतांत हैं, जिसे उनकी दृष्टि की छाया एक अलग आयाम देती है।
तेल अर्थव्यवस्था के सहारे मध्यपूर्व के कई देशों का काम तो चल जा रहा है, लेकिन किसी राष्ट्र की सभ्यता की गहराई के बारे में ऐसे वाकये काफी कुछ बताते हैं और ऐसे भी उस पूरे इलाके में ईरान की सांस्कृतिक ऊंचाई निर्विवाद है।
Published: 16 Feb 2018, 5:42 PM IST
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Published: 16 Feb 2018, 5:42 PM IST