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अर्थ जगत की 5 बड़ी खबरें: बीमा पॉलिसी हो सकती है महंगी, चीनी मिलों पर गन्ना उत्पादकों का 22000 करोड़ से ज्यादा बकाया

कोरोना महामारी के मौजूदा दौर में जहां बीमा के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ने लगी है वहीं, दावों की संभावना ज्यादा होने के चलते बीमा कंपनियां बीमा के प्रीमियम में इजाफा करने लगी हैं। 28 मई 2020 तक चीनी मिलों पर गन्ना उत्पादकों का बकाया 22,000 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है।

फोटो: IANS
फोटो: IANS 

बीमा पॉलिसी आने वाले दिनों में हो सकती है महंगी

कोरोना महामारी के मौजूदा दौर में जहां बीमा के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ने लगी है वहीं, दावों की संभावना ज्यादा होने के चलते बीमा कंपनियां बीमा के प्रीमियम में इजाफा करने लगी हैं, जिन कंपनियों ने अभी तक प्रीमियम में बढ़ोतरी नहीं की है वो आने वाले दिनों में कर सकती हैं। बीमा कारोबार के जानकार बताते हैं कि खासतौर से टर्म इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में आने वाले दिनों में बढ़ोतरी हो सकती है।

पॉलिसी बाजार के सीबीओ (लाइफ इंश्योरेंस) संतोष अग्रवाल ने कहा कि पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में टर्म लाइफ इंश्योरेंस प्लांस की कीमतों का निर्धारण उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि अधिकतर पश्चिमी देशों में, टर्म प्लान की कीमतें काफी हद तक न्यायसंगत हैं क्योंकि इनकी गणना परिष्कृत डेटा एवं अनुभव के आधार पर की जाती है।

उन्होंने कहा कि टर्म लाइफ इंश्योरेंस की कीमतों में 40 फीसदी तक की बढ़ोतरी की संभावना है। उन्होंने कहा कि पिछले एक महीने में, कुछ बीमा कंपनियों ने टर्म लाइफ इंश्योरेंस प्लान्स की कीमतें 20 प्रतिशत तक बढ़ा दी हैं।

Published: 31 May 2020, 7:30 PM IST

पर्यटन : सर्दियों से पहले यात्रा उद्योग में सुधार की उम्मीद नहीं

विश्व के अधिकतर देश कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे हैं। इसका अन्य क्षेत्रों के साथ ही पर्यटन पर भी गहरा असर पड़ा है। संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्रा निलंबित है और आने वाले दिनों में यहां बाहरी पर्यटकों के आने की संभावना नगण्य है।

एस. पी. जैन ग्लोबल की ओर से आयोजित वैश्विक लक्जरी बिजनेस पैनल के अनुसार, आतिथ्य एवं विमानन क्षेत्र (हॉस्पिटैलिटी एवं एविएशन सेक्टर) कोविड-19 के कारण सबसे अधिक प्रभावित हैं। भारतीय आतिथ्य उद्योग को 4.5 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।

हालांकि उद्योग के चौथी तिमाही में वापसी करने का अनुमान भी है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों पर देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण इनबाउंड और आउटबाउंड पर्यटन ठंडा रहने की ही उम्मीद है। घरेलू कॉर्पोरेट यात्रा में भी देश में व्यवसायों की स्थिति के आधार पर असर देखने को मिल सकता है। हालांकि घरेलू अवकाश यात्रा में फिर से उछाल आ सकता है और यह उद्योग को महामारी के बाद उबरने में मदद करने का एक प्रमुख कारक होगा।

Published: 31 May 2020, 7:30 PM IST

एप्पल ने की 13 इंच वाले मैकबुक प्रो की रैम अपग्रेड करने की कीमत दोगुनी

एप्पल ने अपने 13-इंच वाले मैकबुक प्रो की रैम को अपग्रेड करने के लिए कीमत दोगुनी कर दी है। मैकरियूमर की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में ग्राहकों को 8 से 16जीब रैम अपग्रेड के लिए अब 200 अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना होगा, पहले इसके लिए 100 अमेरिकी डॉलर देने पड़ते थे।

वहीं यूरोपीय देशों की बात करें तो यहां इसकी कीमत को 125 यूरो से बढ़कार 250 कर दी गई है और ब्रिटेन में इसके लिए अब 100 के स्थान पर 200 पाउंड देने होंगे। हालांकि, भारत में नई कीमत में कितना बदलाव होगा, यह देखा जाना बाकी है। रिपोर्ट में कहा गया है, "बदलाव इसलिए असामान्य है क्योंकि 13-इंच वाला मैकबुक प्रो अभी एक महीने से भी कम समय पहले लॉन्च किया गया था।" नया मैकबुक प्रो भारत में जल्द ही एप्पल ऑथोराइज्ड रीसेलर्स पर 1 लाख 22 हजार 990 रुपये की कीमत में उपलब्ध होगा।

Published: 31 May 2020, 7:30 PM IST

चीनी मिलों पर गन्ना उत्पादकों का 22000 करोड़ से ज्यादा बकाया

कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम को लेकर पूरे देश में किए गए पूर्ण लॉकडाउन के दौरान कृषि और संबंधित क्षेत्र की गतिविधियों में मिली छूट के चलते किसानों का कोई काम तो नहीं रूका, लेकिन चीनी मिलों पर उनका बकाया बढ़ता चला गया। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय से शनिवार को प्राप्त आंकड़ों पर गौर करें तो 28 मई 2020 तक चीनी मिलों पर गन्ना उत्पादकों का बकाया 22,000 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है, जिसमें गन्ना पेराई सीजन 2019-20 के साथ-साथ 2018-19 की बकाया राशि भी शामिल है। केंदरीय खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चीनी उत्पादन व विपणन सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान पेराई किए गए गन्ने के दाम का बकाया चीनी मिलों पर 28 मई तक 21,238 करोड़ रुपए (स्टेट एडवायजरी प्राइस यानी एसएपी के आधार पर ) था। हालांकि लाभकारी मूल्य यानी एफआरपी के आधार पर यह रकम 21,238 करोड़ रुपए है। इसके अलावा गन्ना पेराई सीजन 2018-19 का बकाया 815 करोड़ रुपए है।

Published: 31 May 2020, 7:30 PM IST

प्राकृतिक रबर उत्पादन में 9.4 प्रतिशत वृद्धि, कुल उत्पादन 712000 टन

अर्थव्यवस्था और विकास दर की चिंताओं के बीच भारत में प्राकृतिक रबर उत्पादन में पिछले पांच वर्षो में पहली बार 2019-20 के दौरान 9.4 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है और कुल उत्पादन 712,000 टन हुआ है। यह जानकारी एक आधिकारिक दस्तावेज से सामने आई है।

रबर बोर्ड ने कोविड-19 महामारी के कारण फसल को हुए नुकसान के चलते 2020-21 में 710,000 टन प्राकृतिक रबर उत्पादन का अनुमान जाहिर किया है। वैश्विक उत्पादन 2.2 प्रतिशत गिरावट के साथ 134.30 लाख टन रहने का अनुमान है। रबर की खेती के क्षेत्र में 2019-20 में 40,000 हेक्टेयर की वृद्धि हुई, जबकि रेन-गार्डेड एरिया 250,000 हेक्टेयर था, जो पूर्व के वर्ष की तुलना में 40,000 हेक्टेयर अधिक है।

रबर बोर्ड के कार्यकारी निदेशक के.एन. राघवन ने पिछले गुरुवार को बोर्ड की 180वीं बैठक में कोट्टायम से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हिस्सा लिया और एक रिपोर्ट पेश की। उन्होंने कहा कि उत्पादन 2014-15 के बाद पहली बार 700,000 टन को पार किया है।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

Published: 31 May 2020, 7:30 PM IST

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Published: 31 May 2020, 7:30 PM IST