मालेगांव ब्लास्ट मामले के आरोपी प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। पुरोहित को 9 साल जेल में रहने के बाद जमानत मिली है। बीते सप्ताह 18 अगस्त को पुरोहित की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आर के अग्रवाल और ए. एम साप्रे की बेंच ने पुरोहित की जमानत पर फैसला दिया है।
पुरोहित की तरफ से अदालत में पेश हुए वकील हरिश साल्वे की दलील थी कि आरोपी 9 साल से लगातार जेल में है और इसी मामले की अन्य अभियुक्त साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को पहले ही बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है। जबकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पुरोहित की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि प्रज्ञा और पुरोहित का मामला अलग-अलग है और पुरोहित के खिलाफ एजेंसी के पास पर्याप्त सबूत भी हैं, इसलिए उन्हें जमानत न दी जाए। बहस के बाद अदालत ने आरोपी पुरोहित को सबूतों के साथ छेड़छाड़ न करने का निर्देश देते हुए सशर्त जमानत दे दी।
गौरतलब है कि इससे पहले इसी साल अप्रैल में मालेगांव ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को जमानत दे दी थी। कोर्ट ने प्रज्ञा को 5 लाख रुपये की जमानत राशि और अपना पासपोर्ट एनआईए में जमा कराने के साथ ही हर तारीख पर अदालत में पेश होने की शर्त पर जमानत दी थी। हालांकि हाईकोर्ट ने तब इस मामले में कर्नल पुरोहित को जमानत देने से इंकार कर दिया था।
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महाराष्ट्र के मालेगांव के अंजुमन चौक और भीकू चौक पर 29 सितंबर 2008 को हुए बम धमाकों में 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। एक बाइक में बम लगाकर यह विस्फोट किया गया था। प्रज्ञा पर इस धमाके की साजिश रचने के आरोप लगे थे। महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते की शुरुआती जांच के बाद इस मामले को एनआईए के हवाले कर दिया गया था। साध्वी प्रज्ञा और पुरोहित को 2008 में गिरफ्तार किया गया था।
कर्नल श्रीकांत पुरोहित का संबंध अभिनव भारत नाम के एक संगठन से बताया जाता है जिसका रुझान दक्षिणपंथी रहा है। जांच एजेंसियों के मुताबिक, मालेगांव में हुए धमाकों को अभिनव भारत नामक संस्था ने ही अंजाम दिया था। इसके लिए पुरोहित ने संगठन की गुप्त बैठकों में हिस्सा लिया और धमाकों के लिए विस्फोटक जुटाने में मदद की। हालांकि कोर्ट के सामने पुरोहित खुद को राजनीति का शिकार बताता रहा है।
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कर्नल प्रसाद पुरोहित को जमानत मिलने पर कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने हैरानी जतायी है। विपक्षी दलों का आरोप है कि बीजेपी के राज में हिंदूवादी संगठनों से जुड़े सभी आरोपियों को धीरे-धीरे क्लीनचिट दी जा रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा, ‘’सभी ब्लास्ट मामलों में भाजपा की सरकार संघ से जुड़े आरोपियों को बचा रही है।‘’ कांग्रेस नेता ने एनआईए को भी कठघरे में खड़ा करते हुए लिखा, ‘’एनआईए चीफ को दो बार सेवा विस्तार इसी वजह से दिया गया था।‘’ पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि जमानत का यह मतलब नहीं है कि आप निर्दोष साबित हो गए हैं।
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