अडानी समूह ने भारतीय करदाताओं की गाढ़ी कमाई के करीब 15 अरब रुपए मारीशस स्थित एक ट्रस्ट में जमा कराए हैं। ये ट्रस्ट कथित तौर पर गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी नियंत्रित करते हैं। ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित अखबार दि गार्जियन की एक पड़ताल के जरिए यह बात सामने आई है।
अखबार ने सोमवार को डीआरआई (राजस्व खुफिया निदेशालय) की जांच रिपोर्ट की एक प्रति प्रकाशित की है। 5 मई 2014 की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी समूह ने विदेशी खातों में पैसा भेजने के लिए बिलों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया।
डीआरआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘अडानी समूह की स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी एमईजीटीपीसीएस (मैसर्स महाराष्ट्र ईस्टर्न ग्रिड पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड) ने पीएमसी प्रोजेक्ट्स के जरिए 1493,84,72,484 रुपए (रु. 1493 करोड़ 84 लाख 72 हजार 484) विदेश भेजे। ये रकम मैसर्स इलेक्ट्रोजेन इंफ्रा एफजेडई, यूएई को आयात बिलों के एवज दिए गए, जिसके लिए आयातित सामान की कीमतों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया।‘
पीएमसी प्रोजेक्ट्स भी कथित तौर पर अडानी एंटरप्राइजेज की ही सहयोगी कंपनी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएमसी ने अपने काम को दुबई की एक अन्य कंपनी को ठेके पर दे दिया था। इलेक्ट्रोजेन इस तरह मारीशस स्थित एक ट्रस्ट नियंत्रित करता है जिसके चेयरमैन विनोद अडानी हैं। रिपोर्ट से ये भी खुलासा हुआ है कि इलेक्ट्रोजेन के पे-रोल पर अडानी समूह के कई पूर्व कर्मचारी भी हैं।
रिपोर्ट में इस बात को रेखांकित किया गया हैकि 2010 में एमईजीपीटीसीएल को महाराष्ट्र में दो विद्युत प्रसारण नेटवर्क स्थापित करने का लाइसेंस दिया गया था। इन्हीं प्लांट को तैयार करने के लिए मंगाए गए उपकरणों की कीमत असली कीमत से 40द गुना तक बढ़ाकर बतायी गयी और भुगतान किया गया। इस तरह हासिल की गयी रकम को अंतत; मारीशस स्थित असंख्य रिसोर्स फैमिल ट्रस्ट में भेज दिया गया,जिसके मालिक कथित तौर पर गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी हैं।
डीआरआई की पड़ताल में ये भी सामने आया कि अडानी एंटरप्राइजेज ने पैसे को मारीशस भेजने के लिए बहु-देशीय तरीका अपनाते हुए इसे दक्षिण कोरिया और दुबई के रास्ता चुना।
अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, डीआरआई का दावा है कि ‘इलेक्ट्रोजेन ने करीब 26 ऑर्डर दक्षिण कोरिया स्थित ह्युंदै हैवी इंडस्ट्रीज से हासिल किए और उन्हें औसतन 400 गुना बढ़ाकर पीएमसी प्रोजेक्ट्स को बेच दिया।‘ इस गोरखधंधे की सबसे पहले रिपोर्ट मई 2014 में इकॉनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली (ईपीडब्ल्यू) मे प्रकाशित हुई थी।
दि गार्जियन ने लिखा है कि ये पहला मौका है जब डीआरआई की किसी पड़ताल को सार्वजनिक किया गया है। यह ध्यान देने की बात है कि इस रिपोर्ट के आधार पर मामला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंप दिया गया है। ये मामला अब अदालत में है और जल्द ही इस मामले में फैसला भी आ सकता है।
दि गार्जियन की रिपोर्ट इस लिंक पर देखी जा सकती है:
97 पन्नों की डीआरआई की जांच के इस दस्तावेज को सबसे पहले दि गार्जियन ने हासिल किया। इसे यहां इस लिंक पर भी देखा जा सकता है।
इस बीच अडानी समूह ने किसी भी किस्म के गैरकानूनी लेनदेन से इनकार किया है। समूह का कहना है कि “जो भी लेनदेन हुए हैं, वे सभी नियमों और गाइडलाइंस के प्रावधानों के मुताबिक ही हुए हैं।”
Published: 17 Aug 2017, 12:45 PM IST
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Published: 17 Aug 2017, 12:45 PM IST